Monday, June 1, 2009

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पञ्च धेनु दान
पञ्च धेनु दान अन्तिम समय साद गति की प्राप्ति के लिए और अन्तिम यात्रा बिना कष्ट के पूर्ण होने के लिए यम के कह्तों से बचने के लिए ये सभी विधान किए जाते है । जन्म लेने के साथ ही मनुष्य योनी में जन्म लेने वाले हर प्राणी पर तिन ऋण लग जाते है। देव ऋण --२ --पित्र ऋण --३ --मनुष्य ऋण । १ --ऋण प्नोद धेनु ---उपर्युक्त तिन ऋण के अतिरिक्त मनुष्य एनी ऋण भी ले लेता है । अथ इन सभीं रीनो के पाप को नष्ट करने के लिए और भगवान की प्रसन्नता के लिए ऋणप्नोद धेनु का दान किया जाता हा २ -- पापापनोद धेनु ----जीवन के ज्ञात अज्ञात पापों से छुटकारा पाने के लिए पापापनोद धेनु का दान किया जाता है ।३ -- उतक्रान्तीधेनु ----अन्तिम समय में प्राणोंत्सर्ग में bahut कष्ट की अनुब्भुती होती है , तो उस कष्ट से बचने के लिए इस धेनु का दान किया जाता है । ४--वैतरणीधेनु -- म्रत्यु के बाद जब जीवात्मा को यम मार्ग से ले जाते है तो मार्ग में सिथित घोर वैतरणी नामक नदी को पार करने के लिए इस धेनु का दान किया जाता है । ५--मोक्षधेनु -- मोक्ष पाने के लिए इस धेनु का दान दिया जाता है ।
येसभी दान चाहे दस महा दान हो या पञ्च धेनु दान

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