Saturday, June 13, 2009

एकादशः के कृत्य

दस गात्र के बाद घर से छुतक समाप्त हो जाती है। इसके बाद एकदश क्रेत्यहोते है जिसे कोई द्व्द्शी या त्रयोदशी को करता है । ये अपने देश कल के रिवाज के अनुसार होता है ।ये सभी पूजन अपनी सामर्थ्य के हिसाब से करना चाहिए .
इसम दिन निम्न कार्य करना चाहिए । ( ये सभी कार्य पंडित जी के बताए अनुसार करना चाहिए । )
१`----नारायण बली ।
२ -----मध्यम षोडशी ।
३-----आद्यश्राद
४-----प्रेत शय्या दान , विविध दान तथा उदकुम्भ दान ।
५----- वृषोत्सर्ग ।
६------संक्षिप्त वैतरणी गोदान ।
७-----उत्तम षोडशी ।
इसके बाद हर महीने म्रत्यु तिथि या क्षय तिथि पर पिंड दान करना चाहिए इसे मासिक श्राद कहते है । मासिक श्राद्ध मरने के एक साल तक ही होता है । हर माह सम्भव न हो तो एक वर्ष में श्राद्ध करना चाहिए ।
वार्षिक श्राद्ध ------vजिसे बरसी या बर्सिक श्राद्ध कहते है ।
मृतक के निमित्त श्रधा पूर्वक किए जाने वाले पिंड दान या दान धर्म को ही श्राद्ध कहते है ।
माता पिता की क्षय तिथि पर यह श्राद्ध करना चाहिय
ब्रह्म पुराण के अनुसार दोपहर १० बजकर ४८ मिनिट से लेकर १ बजकर १२ मिनिट तक करना चाहिए ।
इस क्श्रध में एक ही पिंड दान होता है । अगर ब्राह्मण नही बुलाना है तो खीर का पिंड बनाकर पितृर को अर्पण करे और ज्यादा नही तो एक ब्राह्मण को भोजन कराए यदि सौभग्य वती स्त्री का क्श्रध किया जा रहा है तो सौभाग्यवती ब्राह्मणी को भोजन करे ।



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