दुसरे दिन , तीसरे दिन या उसी दिन तत्काल चिता शांत कर दह कर्तादक्षिण की और मुह करके पूर्व विधि से पिंड दान करे ।
पिंड बनाने से जो अन्ना बचा हो उसे उसे श्मशान वासी देवो को बली प्रदान करे ।
अस्थि संचय ----गायका दूध डाल कर अस्थियों को तर कर ले , मोन हो कर पलाश की दो लकडियो से अस्थिया अलग कर ले , सबसे पहिले सर की अस्थि से शुरू करे ओर अंत में पेर की अस्थि को चुने । ये सभी अस्थि कुश के उपर एक रेशम या तुस का कपडा बिछा क्र उस पर रखे । इनको सुगन्धित जल से तर कर उनमे थोड़ा सा स्वर्ण , मधु , घी , तिल डाल दे । फ़िर कपडे में बाँध कर मिटटी के बर्तन में रखे ।
घट फोदन -----इसके बाद चिता भस्म को जल में भा दे । चिता स्थली को साफ करे ।
इसके बाद एक व्यक्ति दाहकर्ता के कंधे पर एक घडा भर क्र रखे और आगे को जाते हुए चिता स्थान पर घडा गिरा दे फ़िर मुद कर न देखे और आगे चल दे । फ़िर सभी लोग स्नान करे मोन होकर । फ़िर स्नान के बाद तिल का दान दक्षिण की और मुख करके के ।
तत्वोंपदेश ----इसके बाद सभी लोग एक जगह बैठे या रुके और बाते करे , मानव तन एक दिन नष्ट होने वाला है । यह प्रथ्वी , जल , आकाश , वायु , अग्नि के संयोग से बना है । तो एक दिन उसी पञ्च भुत में मी जाएगा । इस तन को पाने का सबसे बडा लाभ है की ये कर्म सुधार योनी है । इस से हम भगवान को प् सकते है ।
अगर आप गंगा किनारे है तो उसी दिन अस्थि विसर्जित कर दे अन्यथा घर के बहर किसी पेड़ पर अस्थि कलश लटका देना चाहिए और दस दिन के भीतर गंगा में विसर्जन करना चाहिए । दस दिन के भीतर अस्थि गंगा में विसार्जन करने पर प्राणी को गंगा घाट पर मरने का फल मिलता है ।
शमशान से लोटकर -----इसके बाद बच्चो को आगे करके सभी घर की और चले पीछे मुद कर न देखे । दरवाजे पर थोड़ा रुके फ़िर निम् की पत्ते चबाये , आचमन करे , । जल , गोबर , तेल मिर्च , पिली सरसों , और अग्नि का स्पर्श करे । फ़िर पतथर पर पैर रख कर घर में प्रवेश करे .फ़िर भगवान का चिंतन करे ।
दह कर्ता के पालनीय नियम -----१ --पहले दिन किसी निकट सम्बन्धी , ( ससुराल या ननिहाल ) से भोजन प्राप्त करके कुटुंब सहित भोजन करना चाहिए । ये सुविधा न होने पर बाजार से खरीद क्र भोजन करे ।
२-- ब्रह्मचर्य का पालन करे ।
३-----भूमि शयन करे।
४ -----सूर्यास्त से पूर्व भोजन स्वय बना कर खाए या एक ही हाथ का खाए ।हो सके तो नमक रहित खाए और पत्तल में खये । किसी को न छुए । और सबसे पहिले प्रेत के निमित भोजन का ग्रास निकल क्र घर के बहर रख दे फ़िर खाए ।
५------ प्रेत के लिए पिंड दान रोज करे । इन दिनों त्याग का जीवन बिताये ।
कुटुम्बियों के लिए -----ब्रह्मचर्य का पालन करे, । २ ----- मांस अदि न खाए , , शरीर तथा कपडो में साबुन न लगाये । , तेल न लगाये । ३ ----- मन्दिर में न जाए , पूजा न करे , देव मूर्ति का स्पर्श न करे , दान न दे न लें । किसी को प्रणाम न करे न आर्शीवाद दे । घर के देवी देवता की पूजा किसी कन्या से करा ले .४------ किसी घर नखाए न खिलाए
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Thursday, June 11, 2009
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