Monday, June 15, 2009

मेलन यानि की मृत प्राणी को पितरों में मिलाना

मरने के बाद प्राणी को पितरो के साथ मिला दिया जाता है यह जरूरी है । जब तक मिलन नही किया जाता तब तक मृत प्राणी अपने मृत पूर्वजों से नही मिल सकता ।( यज्ञं ० स्म्र० से )
अतः मृतक को श्राद्ध द्वारा पिता में , पितामह में , फ़िर प्रपितामह में मेलन कराया जाता है ।
अगर मृतक स्त्री है और उसका पति जीवित है , तोउसका मेलन सास , परसासऔर वृद्ध परसास में होगा ।
अगर पति जीवित नही है तो स्त्री प्रेत का मेलन पति , श्वसुर और प्रश्वसुर में होगा ।
साधारण श्राद्ध ------हर किसी को श्राद्ध करना आवश्यक है । हमारे किसी भी शुभ कार्य में सबसे पहिले पितरों की पूजा होती है । पितरो का हमसे सीधा सम्बन्ध है , पितृरों की आशा केवल अपने परिवार से होती है .बाकि दुनिया से नही। जिस परिवार से पितृ खुश रहते है वः सदा फुला फलता है । हमेशा उन्नति करते है । जिनके पितृ दुखी , उपेक्षित रहते है वे सदा दुखी , दरिद्री ,रोगी रहते है ।
पितृ पक्ष---- पितृ पक्ष मेंपितृ लोक के दरवाजे खुलते है और पितृ इस धरती की ओर दौड़ पड़ते है , ये मेरे बेटे , पोते , बहु ,बीबी भाई है सम्बन्धी है वः अपना हर भरा परिवार देख क्र भुत खुश होते है । (मनु स्मृति से )
इस समय पितृ पक्ष के १५ दिन तक पितृ लोक के द्वार बंद रहते है और ये प्रथ्वी पर ही भूखे प्यासे धूमते है और अपने परिवार की ओर आशा लगाये रहते है की वःहमे यद् करे हमको खाना दे ।।
करने योग्य ---- घर में बनने वाले भोजन में से पहिला भोग भगवान को लगता है , परन्तु पितृ पक्ष में पहिले ग्रास पर पितृ का अधिकार होता है अतः घर की महिला को
हाही की वह स्नान करके भोजन बनाये जो भो बनाये उसेपक जाने पर , गैस चूल्हे से निचे उतरने के पहिले एक थाली में पितरों के नाम से एक चम्मच भोजन निकल ले । इसी प्रकार जो जो बने वः सभी निकल कर घर के किसी एकांत स्थान पर rkh ले साथ में एक गिलास पानी भी ले और जो भी श्रधा हो सब एक थाली में रख ले दो अगरवत्ती जला ले ओर दक्षिण की और मुह करके अपने पितरो को भोग लगाये , बसी श्रधा से उनको याद करे। अपनी समस्या खे उनकी यद् करे। उनकी कमी को महसूस करे उन से अपने दिल की बात कहें क्योकि वः आपके अपने है । आपने उनको देखा है , उनने आपको बहुत कुछ किया है । उनको आपसे लगाव है । बच्चे भले ही अपने बुजुर्गो को भूल जाए पर वो नही भूलते । एक घंटे बाद वः सब किसी गे को खिला दे । और क्षय तिथि को या अमावश्या को बिदाई दे दे
जो परिवार पितरों को मानते है उन्हें वः आर्शीवाद देकर जाते है , जो परिवार नही मानते उनको वः श्राप दे क्र जाते है .इसे लोग जीवन भर दुखी रहते है ।
अतः हमको श्राद्ध पक्ष में पितरो की क्षय तिथि को श्राद्ध जरुर करना चाहिए । अगर क्षय तिथि मालूम न हो तो अमावश्या के दिन अपने सभी पितरो के लिए क्ष्रद करना चाहिए । आप एक ही ब्राह्मण को भोजन करा क्र श्राद्ध पूर्ण क्र सकते है याआप अपने पितरो के नम पर कच्चे अन्न का संकल्प करके दान क्र सकते है ।
देवता अग्नि के मुखसे और पितृ ब्राह्मण के मुख से हव्य ग्रहण करते है ।( पद्म पुराण )
श्राद्ध की विधि ----- क्षय तिथि को या अमावश्या को शुद्ध सात्विक भोजन बनाये ।खीर जरुर बनाये । भोजन बन जाने पर एक थाली में पञ्च पलाश के पत्ते या दोना रख ले और जो भी बना है थोड़ा थोड़ा उनमे निकल ले और दक्षिण की की और मुह करके बैठ जाए हाथ में जल लेकर मन्त्र बोले या गोभ्यो नमः बोलकर पहिले दोना में जल छोड़ दे । श्वनेभ्यो नमः से दुसरे पर नमः से काकेभ्यो नमः से तीसरे पर , देवादिभ्यो नमः से चोथे पर और पिपीलिकादिभ्योनमः ( चींटी आदि ) से पांचवे दोना पर जल छोडे । इस प्रकार ये निकलनेके बाद ब्राह्मण के लिए थाली में भोजन निकले और हाथ में तिल और जल लेकर ब्राह्मण भोजन सहित पितृ देवता तृप्तिपर्यन्तं
eसा कहकर पितृ तीर्थ से जल छोडे । उर अपने पितरो को बिदाई दे की हे पितृ आप अपने लोक में जाकर सुख से रही हम पर कृपा बनाये रखीये ।( अन्त्य कर्म प्रकाश )
इसके बाद एक या जो भी हो सके ब्राह्मण को भोजन कराए और दक्षिण दान करे । अन्न वस्त्र या जो भी हो ।

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