चोथा संस्कार ---बारसा या नाम करन ------ यह लड़की का दस दिन में औरलड़का का बारह दिन में मनाया जाता है । इस दिन भी चौक , कलश , पूजन सामग्री पहिले की तरह रखते है । दीपक जलाते है ॥ गौरी गणेश का पूजन करते है फ़िर घर का बुजुर्ग लोग बच्चे का नाम रखते हैं और सास बच्चे के कण में बच्चे का नाम बोलती है और अपने सरे परिवार का नाम भी बोलती है । जैसे -- आपका नाम सूरज है , आपके बाबा का नाममोखन है उनकी तरह बनाना । पापाका नाम विजय है उनकी तरह गंभीर बनना , चाचा का नाम रोहित है उनकी तरह हंसमुख बनना आदि ।
माँ बच्चे को ले कर बाहरआँगन में आती है सूर्य को जल चडायाजाता है फुल अक्षत आदि से पूजन करके प्रणाम किया जाता है फ़िर बच्चे को सूर्य के दर्शन कराये जाते हैं, फ़िर पृथ्वीपर लिटाते हैं इस प्रकार बच्चे को दोनों की उर्जा मिल जाती है । मायके वाले कपड़े , मिठाई , मेवा फल आदि की भेंट लाते है । बच्चे को हाय , चन्द्रमा , चेन , कड़े ,पायल आदि लाते है । झुला भी लेट है जिसकी पूजा के बाद झूले का नेग करके बच्चे को
झूले में लिटाया जाता है ।
पांचवां संस्कार -- जलवा -या जल पूजा --- यह पूजा चालीस दिन में होती हे अब जच्चा की सूतक खत्म होतीहै इस दिन जच्चा तैयार हो कर कुँआ पर जाती है मंगल गन करती हुई महिलाये जाती है कुआँ का पूजन होता है । नन्द या नंदोई पानी का घड़ा भर कर जच्चा केसर पर रखते है। फ़िर घर के दरवाजे पर आकर देवर उस घडे को उतरता है और नेग भी लेता है ।
chhata अन्नप्रासन संस्कार ----हमारे यहाँ इस संस्कार का बडा महत्व है । इसके पहिले बच्चे को अन्न नही खिलते है ये सभी संस्कार पंडित से मुहूर्त पूछ कर ही करते है । यह तीन माह से लेकर छः माह के बीच होता है । इसे बुआ या मामा जी के द्वारा कराया जाता है जो बच्चे को कपड़ा , चांदी की कटोरी , चम्मच गिलास लती है कलश , गौरी गणेश पूजन होता है फ़िर दादा दादी बच्चे को गोद में लेकर चोकी पर बैठते है और मामा या बुआ चांदी की कटोरी से चम्मच में खीर लेकर बच्चे को सात बार चटाते है । गाना नाचना होता है । मीठी बनती जाती है । satvansa
satvan मुंडन संस्कार --- जन्म के एक साल या तीसरे साल के अंदर मुंडन होता है । मुंडन अपने अपने रिवाज के मुताबिक कुल देवी देवता के स्थान पर होते है । या किसी मन्दिर में होते है । चोक दल कर कलश रखे दीपक जलवें । नाइ की कतिरी में साफ़ पानी लेवे उसमे तांबे का सिक्का डाले दादी या माँ बच्चे को गोद में लेकर बैठ जावे बुआ अपने हाथ में आता की कच्ची रोटी ले क्रर बैठती है उसमे एक रुपया रखा जाता है और उसमे सरे बाल इकट्ठे किए जाते है फ़िर उसे गोल गोल करके सारे बाल अन्दर किए जाते है और फ़िर इस बाल वाले गोले को किसी भी नदी में दाल दिया जाता है मुंडन खत्म होने पर सर में हल्दी और घी लगते है ताकि इन्फेक्शन न हो । बच्चे का teeka करते है मिठाई खिलते है
Tuesday, May 12, 2009
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