यह संस्कार दुसरे नंबर पर आता है । इसे जात कर्म संस्कार कहते है । जब महिला को दर्द शुरू होता है , तब दीवाल पर उससे एक तेल का हाथ लगवा देते हैं । और सवा किलो गेहूं निचे रख कर उसके दो भाग करा देते है और अपने पितरों को भी याद करके प्रार्थना करते है ।
बच्चा के जन्म लेते ही सबसे पहिले घड़ी देखते है फ़िर घर के बुजुर्ग व्यक्ति से एक गुड का गोला बना कर घी लगाकर पिंड दान के नाम पर गेहूं के पास रख देते हैं एसा करने से हमारी तीन पीडी के पितरतृप्त हो कर स्वर्ग चले जाते है और उसके बाद बच्चे का नाल काटते है।
इसके बाद जो घर में सबसे ज्यादा होनहार होशियार महिला या पुरूष होता है वह सोने की सलाई पर थोड़ा सा शहद दे कर बच्चे को चटाते हैकहा जाता है की एसा करने से उस व्यक्ति के गुन बच्चे में आते हैं ।
इसके बाद सूतक मन जाता है जो पाँच दिन का होता है ।
तीसरा छठी संस्कार ----लड़की की छठी पञ्च दिन में और लड़का की छठी छः दिन में करते है । इस दिन जच्चा बच्चा को स्नान करावे फ़िर गरम गरम हरिरा या दूध पिलावे दोनों की सिकाई करेजच्चा के यूज किए हुआसारे गंदे कपड़े गरम पानी औरदितल में दल कर साफ करें । बच्चे के कपड़ा हमेशा साफ रखें इस दी सफाई के बाद सूतक समाप्त हो जाती है । इसके बाद शामको जहाँ तेल का हाथ लगाया था वहां पर आते का चौक बना कर गेहूं के ऊपर तेल का दीपक जलावें और बच्चे को गोद में लेकर चौकी पर जच्चा बैठ जावे घर के बुजुर्ग महिला अपने कुल देवता की पूजा करें सास दीवाल में गी के छः हाथ लगावे और एक सिक्का भी चिप्कावे बिच में बच्चे की बुआ नये कपड़े पहिनती है काजल लगाती है महिलाएं मंगल गीत गाती हैं । कुल देवता की पूजा की जाती है छठी माता की पूजा होती है बच्चे को दीपक का उजला नही दिखाते हैं फ़िर मुंग की दल , ६ रोटी ,६ बड़ा , ६ पुडी ६ पकौडी (ये सभी भुत छोटे बनते है ) कड़ी चावल खीर पुआ एक थाली में रख कर कुला देवता को भोग लगते है और नन्द भाभी एक ही थाली में खाते है । बुआ को भतीजा होने ki खुशी में नेग मिलता है । दरवाजे पर बाजा बजते है नाच गाना होता है इस प्रकार आने वाले बच्चे का स्वागत होता है ओउर जन्म से ही उसमे संस्कार आने शुरू हो जाता है ।
शेष अगली बार -----
ओम जय माँ --
Monday, May 11, 2009
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