श्री मद भागवत पुराण , श्री मार्कंडेय पुराण , श्री नारद पुराण , श्री मद देवी पुराण , श्री शिव पुराण , श्री विष्णु पुराण , श्री गणेश पुराण , श्री अग्नि पुराण , श्री मत्स्य पुराण ,श्री कूर्मपुराण ,श्री वराह पुराण श्री भविष्य , श्री गरुड़ पुराण , श्री स्कन्द पुराण , श्री बृहदधर्म पुराण , श्री लिंग पुराण , श्री पद्म पुराण , और श्री हरवंस पुराण ।
इस प्रकार हमारी सांस्क्रतिक धरोहर के प्रतीक चार वेद , छ शास्त्र, और अठारह पुराण है । जिसमें ज्ञान विज्ञानं , योग , अध्यात्म , अणुपरमाणु , काया कल्प व् अन्य चिकित्सा पद्यति तथा राजनीती , अर्थ व्यवस्था पद्यति , धर्म , अर्थ काम मोक्ष सभी कुछ है । आज यह सारा विश्वसमुदाय उसी सब की खोज अपने अपने तरीके से करके संसार के सामने ला रहा है । आज के वैज्ञानिक जो भी खोज कर प्रस्तुत कर रहे हैं , वह ज्ञान हमारे पूर्वजों ने काफी पहिले अर्जित कर लिया था ।
Tuesday, April 28, 2009
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बिल्कुल सही लिखा है आपने , और हम विश्वगुरु रहे है और रहेंगे ,
ReplyDeleteधन्यवाद ,
मयूर
अपनी अपनी डगर
hamara utsah bdane ko thanks . dhram ke jigyasu avhi hai yh jaankar khushi hui .
ReplyDeletehow is impotence of this puran
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