Tuesday, April 28, 2009

अठारह पुराण

श्री मद भागवत पुराण , श्री मार्कंडेय पुराण , श्री नारद पुराण , श्री मद देवी पुराण , श्री शिव पुराण , श्री विष्णु पुराण , श्री गणेश पुराण , श्री अग्नि पुराण , श्री मत्स्य पुराण ,श्री कूर्मपुराण ,श्री वराह पुराण श्री भविष्य , श्री गरुड़ पुराण , श्री स्कन्द पुराण , श्री बृहदधर्म पुराण , श्री लिंग पुराण , श्री पद्म पुराण , और श्री हरवंस पुराण ।
इस प्रकार हमारी सांस्क्रतिक धरोहर के प्रतीक चार वेद , छ शास्त्र, और अठारह पुराण है । जिसमें ज्ञान विज्ञानं , योग , अध्यात्म , अणुपरमाणु , काया कल्प व् अन्य चिकित्सा पद्यति तथा राजनीती , अर्थ व्यवस्था पद्यति , धर्म , अर्थ काम मोक्ष सभी कुछ है । आज यह सारा विश्वसमुदाय उसी सब की खोज अपने अपने तरीके से करके संसार के सामने ला रहा है । आज के वैज्ञानिक जो भी खोज कर प्रस्तुत कर रहे हैं , वह ज्ञान हमारे पूर्वजों ने काफी पहिले अर्जित कर लिया था ।

Sunday, April 26, 2009

भारतीय ग्रन्थ

भारतीय ज्ञान सबसे प्राचीन है । हिंदू सभ्यता का ज्ञान हमारे वेदों के माध्यम से होता है । वेद चार हैं । सामवेद , ऋग्वेद, यजुर्वेदऔर अथर्वेद ।
वेदों की भाषा कठिन होने के कारन हमारे मनीषियों ने उसे सरल भाषा में अनुवादित किया है । जो पुराणोंके रूप में हैं । पुराणअठारह हैं ।

Friday, April 24, 2009

वाणी का धर्म क्या है ?

वाणी भगवान की एक महान उपहार है और जो इसका दुरूपयोग करता है वह भगवान के इस उपहार का अनादर करता है । वाणी सभी कर्मेंद्रियों का प्रस्तुतीकरण है। और यह भी कहा जा सकता है की वाणी सभी कर्मेद्रियों को शब्द प्रदान करती है।

वाणी का अपना कुछ नही है जो भी बाकि सभी कर्मेंद्रीयां प्रस्तुत करना चाहती हैं वह वाणी प्रस्तुत कर देती है। ऐसी स्थिति में वाणी का धर्म बहुत महत्वपूर्ण है।

मेरा प्रश्न यह है कि वाणी को येसी स्थिति में क्या करना चाहिए ?

धन्यवाद्,

!! ॐ जय माँ !!



Thursday, April 23, 2009

श्री शिव सहश्त्रनाम (११ - २०)

ॐ श्री सर्वात्मने नमः !! ११ !!
ॐ श्री सर्व विख्याताय नमः !
ॐ सर्वश्मे नमः !
ॐ सर्वकराय नमः !
ॐ स्थाणवे नमः ! १५ !
ॐ भवाय नमः !
ॐ जटिने नमः !
ॐ चर्मिने नमः !
ॐ शिखन्दिने नमः !
ॐ सर्वभावनाय नमः ! ! २० !!

श्री शिव सहस्त्रनाम ( १- १०)

ॐ श्री गुरुवे नमः !! १ !!
ॐ श्री गणपतये नमः !
ॐ शिवाय नमः !
ॐ स्थिराय नमः !
ॐ स्थाणवे नमः ! ५ !
ॐ प्रभवे नमः !
ॐ भीमाय नमः !
ॐ प्रवराय नमः !
ॐ वरदाय नमः !
ॐ वराय नमः ! ! १० !!

Wednesday, April 22, 2009

महाभारत : जनमानस का ग्रन्थ

महाभारत भारत का एक प्राचीन ग्रन्थ है। महाभारत की रचना करीब ५००० वर्ष पहले की है। जिससे यह सबसे प्राचीन सभ्यता कही जा सकती है। यदपि इसका कोई प्रमाणिक अध्यनन नहीं है फिर भी जिस प्रकार यह ग्रन्थ लिखा गया है यह किसी प्रकार से काल्पनिक नहीं लगता। अभी भी ढेरो ऐसे उदहारण मिले है जिससे महाभारत काल का अच्छी तरह पता लगाया जा सकता है।

भगवान श्री कृष्ण भी महाभारत काल के एक पात्र है और एक ऐसे पात्र जिसने जीवन की परिभाषा ही बदल दी। भगवान श्री कृष्ण के लिए जितना भी लिखो कम है क्यों की वह एक ऐसे चरित्र हैं जिसे शब्दों में परिभाषित करना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।

भागवान श्री कृष्ण का जीवन एक सम्पूर्ण उद्देश्य है जो अपने आप में संपूर्ण है।

!! जय माता दी !!

Tuesday, April 21, 2009

रामायण के पात्र : हनुमान

रामायण भारत का प्राचीन धर्मग्रन्थ है। रामायण के सभी पात्र बहुत शिक्षा देते हैं । हनुमान रामायण के बहुत ही रोचक और लगनशील पात्र हैं। हनूमान का चरित्र सेवा के लिए बना हुआ है। हनुमान ने अपना सारा जीवन भगवान राम की सेवा में लगा दिया। हनुमान ने कभी अपने लिए कुछ नही किया। भगवद गीता का कर्म का सिन्धांत अगर समझना है तो हनुमान के जीवन को ठीक तरह से समझना होगा ।

हनुमान के जीवन का सार ही उनकी भगवान राम के प्रति भक्ति है और सही मायने में यही उनकी असीम शक्ति है।

!! जय श्री राम !!

Sunday, April 19, 2009

शुरुवात

यह ब्लॉग मैं आप सब के लिए शुरू कर रहीं हूँ। यहाँ पर आप सभी भारतीय ज्ञान के बारे में जानेगे। यही तो अभी शुरुवात है। आप यहाँ पर रोज आये और इसका फायदा उठायें।

धन्यवाद् !!