Friday, May 8, 2015


    maa 
 मेरी हर चोट पर जिसने मरहम लगाया 
ठोकर खा कर जब भी गिरा उसने गले लगाया 
खुद भूखी रह कर  हमे निवाला खिलाया 
   वो एक माँ है,  वही तो मेरी प्यारी  माँ हैं 
              
  माँ वह शिल्पकार है ,जो अनदेखे एक मांस के सूक्ष्म पिंड को तराश कर , उसमे संस्कार  अहसास ,संवेदनाएं ,प्रेम_प्यार ,ज्ञान-विज्ञानं और  जाने क्या क्या   कर उसे एक इंसान बनती हैउसके लिए वह अपना हर सुख दुःख भूल जाती  है उसका लालन पालन उसकी तपस्या बन जाता है वही पहली कड़ी है जो एक बच्चे को इस संसार से जोड़ने का माध्यम बनती है जीवन  पहला पाठ  माँ ही पढ़ाती  हैएक माँ अपने बच्चे को जैसा चाहे वैसा बना सकती है जीजा बाईरानी मदालसा , कुंती,रानी देवल  इसके उदाहरण है 

 इस बेमानी , स्वार्थी और नफ़रत  भरी दुनियां में सच्चे प्यार की शीताल छाया केवल माँ ही है हर दर्द  का मरहम है माँ, दुआओं का भंडार है माँ,ईश्वर से पहले पूजनीय है माँ, इस धरती   पर  विधाता के द्वारा भी वंदनीय माँ ,


    मेरी  शादी के पंद्रह साल बाद की बात है एक बार मई पारिवारिक विवाद के कारन बहुत कठिन इस्थिति  में फंस गई थी  उस शाम  मई परेशान और उदास थी , तभी मेरी माँ का  फोन आया , मैंने अपने आप को सम्हाल कर उनसे कहा  , हेलो , हाँ  माँ, आप कैसी है ? वह मेरी बात का जवाब दिए बिना वहां से बोली , बेटा , क्या हुआ तुम इतनी उदास और परेशान क्यों हो?   मैंने अपनी आवाज में ढृढ़ता  लाते  हुए  झट से कहा ,  नहीं माँ ऐसी तो कोई बात नहीं है मै  बिलकुल ठीk  


 माँ वहां से बोली ,  नही तुम कुछ छुपा रही हो बेटा , मै  माँ हूँ मुझे तुम्हारी आवाज ही नहीं , दिल की धड़कन भी सुनाई दे रही है अब बताओ क्या हुआ?  उनकी बात सुनकर मेरे हाथ कांपने लगे और  आँख में आंसू   गए , पर मई कुछ भी कह के उनको परेशान नहीं करना चाहती थी  इसलिए दिल कड़ा करके  कहा , माँ मै  बिलकुल ठीक हूँ आप बताइये  कैसी हो ? इस तरह कुछ बात करके फोन रख दिया अब मै  अस्वस्त थी की माँ को कुछ भी पता नहीं चल पाया होगा , पर ये मेरी भूल थी सुबह होते ही माँ दरवाजे पर खड़ी  थी  


  मेरे जीवन में मेरी माँ का स्थान सर्वो परी  है। आज मै  जो कुछ भी हूँ   अपनी माँ के कारण  ही हूँ वह मेरी  गुरु , मार्ग दर्शक , दोस्त, हमराज  और आलोचक भी है मेरी गलती होने पर वह बिना संकोच के टोक  देती हैं उनका कंह ना है कोई भी बी इंसान अपने आप में पूर्ण नहीं होता } हर किसी में कुछ कुछ कमी होती है और अपनी उस कमी को स्वीकारने वाला ही सच्चा इंसान है   


   आज  भी मै  किसी संकट या परेशानी में होती हूँ , तो उनकी दी हुई सीख को याद  करके  उस समस्या का हल खोज लेती हूँ  उस माँ को शत शत नमन है 
   
           माँ आज तू नहीं पर तेरा अहसास है  
           हर ओर तुझे खोजती मेंरी आस है  
          माँ , तेरे जाने से मेरे सरे सुख चले गए 
         भीड़ होते  हुए भी हम अकेले रह गए 


                          माँ अब  कोई मेरा सुख दुःख नहीं बांटता 
                          बेटा खाना खाया कोई नही पूछता 
                           देर से घर आने पर कोई नहीं टोकता 
                          माँ तू कहाँ है , मेरी माँ तू  कहाँ है 

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