Monday, October 12, 2015

राहुल मीना ने राहुन के सामने प्लेट रखते हुए कहा- जो कुछ भी चाहिए हो ले लेना सब कुछ रखा है। राहुल ने कहा-- मीना कम से कम खाना तो परोस कर खिला दिया करो। वह बोली -राहुल डार्लिंग, जमाना बहुत आगे जा चुका है। इस पति परमेष्वर वाली इमेज से बाहर निकलो। मुझसे ये बाइयों वाले काम करने को मत कहा करो।
मैं एक आधुनिक माहौल में पली बड़ी खुले बिचारों वाली लड़की हूं। मेरे पास और भी बहुत काम हैं करने को।

 उसके इस दो टूक जवाब को सुनकर उसके मुंह से बोल भी नहीं फूटा, वह तो बस उसे चुपचाप देखता ही रहा। हालांकि यह पहली बार नहीं था, पर उसके दिल को ठेस लगी।  राहुल खाते खाते सोचने लगा कि पिछले साल जब मां आई थी तो वह किस तरह से उसे एक एक गरम गरम रोटी बना कर खिलाती थी। उसे मना करो पर वह नहीं मानती थी। बेटा एक और एक और करके वह कितना खाना खिलास देती थी। अगर वह कुछ परेषान सा दिखता तो लाख छुपाने के बाद भी वह समझ जाती थी। और जब तक वह मेरी परेषानी का कारण ना जान ले चैन नहीं लेती थी।